Dosti Shayari : Wo Mouth Badi Suhani Hogi
Dosti Shayari |
ये चाँद चमकना छोड़ भी दे,
तेरी चांदनी मुझे सताती है।
तेरे जैसा ही था उसका चेहरा,
तुझे देख के वो याद आती है।
तड़प उठते है, उन्हें याद करके,
जो गए है हमे बर्बाद करके,
अब तो इतना ही ताल्लुक रह गया है,
कि रो लेते है बस उन्हें याद करके।
दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ,
प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ,
इस दिल में दर्द नहीं उसकी यादे हैं,
अब यादे ही दर्द दें, तो उसे इलज़ाम क्या दूँ।
Wo Mouth Badi Suhani Hogi,
Jisme Hamari Dosti Birani Hogi,
Vaada Hai Aapse Pahle Hum Jayenge,
Becoz Vahan Well Come Ki Rasham Bhi Toh Nibhani Hogi.